दोस्तो शकुनि के बारे में कहा जाता है कि, वह कभी भी जुए में नहीं हारा। उसकी जीत का रहस्य उसके पासों में छिपा था। शकुनि ने ही दुर्योधन के मन में पांडवों के प्रति नफरत का बीज बोया था, और जुए का ऐसा खेल खेला कि, पांडव उसमें अपना राजपाट सब कुछ गंवा बैठे थे। जुए के इसी खेल के बाद कौरव और पांडवों के बीच महाभारत का महायुद्ध हुआ, जिसमें कुरु वंश का विनाश हो गया। शकुनि को यह बात अच्छी तरह से ज्ञात थी कि, इस महायुद्ध में कौरवों की हार होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर शकुनि ने यह सब जानबूझ कर क्यों किया? शकुनि ने अपनी बहन के पूरे खानदान का सर्वनाश क्यों करवाया? और शकुनी मामा के पासों का क्या रहस्य था? जिसका जबाब आप इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं.
शकुनि मामा कौन था? वह हस्तिनापुर कैसे पंहुचा?
दोस्तो, पांचवा वेद कहे जाने वाले महाभारत की कथा में शकुनि उन प्रमुख पात्रों में से एक है, जिसे इस महायुद्ध के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शकुनी अपनी कुटिल बुद्धि के लिए प्रसिद्ध है, और कई लोग शकुनी को महाभारत का खलनायक भी कहते हैं। शकुनि मामा छल, कपट और कुकर्मों से भरे हुए थे। महाभारत में उन्हें अपने कामों के कारण जगह मिली। महाभारत में युद्ध तक, शकुनि मामा पांडवों के विनाश के लिए चालें चले, और उनकी चाल काफी हद तक सफल भी रही। महाभारत में इन कुटिल चालों के परिणाम में पांडवों के जीवन में काफी उथल-पुथल हुई, और अंत में युद्ध हुआ। शकुनी को गांधार राज भी कहा जाता था, ऐसा इसीलिए क्योंकि गांधार के राजा सुबल थे और यह शकुनि के पिता थे. इसके साथ ही शकुनि गांधारी का छोटा भाई था, और जब से वह पैदा हुआ था, तब से वह विलक्षण बुद्धि का सबसे तेज बच्चा था। जिसके जीवन का अधिकांश समय अपनी बहन के ससुराल में बीता था। शकुनि की बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था। वह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र का साला और कौरवों का मामा था।
शकुनि मामा कौरवों का विनाश क्यों चाहता था?
दोस्तो, शकुनि हमेशा से दुष्ट विचारों वाला नहीं था। वह अपनी बहन गांधारी से बहुत स्नेह करता था, और संसार के हर भाई की तरह यह भी चाहता था कि, उसकी बहन की शादी एक योग्य व्यक्ति से हो, और उसका जीवन हमेशा सुखमय रहे। मामा शकुनि द्वारा अपने बहन के पूरे परिवार का नाश कराने के पीछे एक कथा आती है. जिसके अनुसार शकुनि कभी भी अपनी बहन गांधारी का विवाह, नेत्रहीन धृतराष्ट्र के साथ नहीं करना चाहता था. लेकिन भीष्म के दबाव के कारण उसे ऐसा करना पड़ा। इसी बात का बदला लेने के लिए उसने यह पूरा षडयंत्र रचा। शकुनि की इस चाल के पीछे सिर्फ पांडवों का ही नहीं बल्कि कौरवों का भी भयंकर विनाश छिपा था, क्योंकि शकुनि ने कौरव कुल के नाश की सौगंध खाई थी और उसके लिए उसने दुर्योधन को अपना मोहरा बना लिया था। शकुनि हर समय बस मौकों की तलाश में रहता था जिसके चलते कौरव और पांडवों में भयंकर युद्ध छिड़ें और कौरव मारे जाएं। जिस पासे की मदद से उसने से इस महायुद्ध का कुचक्र रचा, उसकी कथा भी हैरान कर देने वाली है।
विवाह के बाद गांधारी से जुड़े एक सच को जानकर धृतराष्ट्र इतना नाराज हुए कि, उन्होंने गांधार राज्य पर हमला करवा दिया. और शकुनि के पूरे परिवार को बंदीगृह में डाल दिया गया। बंदी गृह में कैद उन सभी को इतना ही भोजन दिया जाता था कि, वह धीरे-धीरे भूख से तड़प कर मृत्यु को प्राप्त हो जाएं। ऐसे में शकुनि के पिता ने तय किया कि, सभी के भोजन के हिस्से से किसी ऐसे बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति की जान बचाई जाय, जो भविष्य में अपने साथ हुए अन्याय का बदला ले सके। अंतत: शकुनि को बचाने का फैसला किया गया, लेकिन वह अपने इस प्रण को भूल न जाए, इसके लिए सभी ने मिलकर उसके एक पैर को तोड़ दिया, ताकि अपने परिवार के अपमान की बात याद रहे। उसी के बाद से शकुनि लंगड़ा कर चलने लगे।
शकुनि मामा के पास पासे कहाँ से आये?
शकुनि के पिता जब बंदी गृह में मरने लगे तब, उन्होंने शकुनि की चौसर में रुचि को देखते हुए कहा कि, तुम मेरी उंगलियों से पासे बना लेना। इनमें मेरा आक्रोश भरा होगा, जिससे चौसर के खेल में तुम्हें कोई हरा नहीं पाएगा। पिता की उंगलियों से बने पासे से चौसर खेलने के कारण ही शकुनि, हर बार पांडवों को हराने में सफल हुए। इस पासे की खास बात यह थी कि, ये पासे केवल शकुनि की ही सुनते थे। पासे शकुनि के हुक्म के अनुसार ही हर बार प्रदर्शन किया करते थे।
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