दोस्तो रावण विद्वान होते हुए भी अत्याचारी था. उसके लिए जीवन में नैतिक सिद्धांतों का कोई मोल नहीं था. यहां तक की उसके लिए रिश्ते नाते भी कोई मायने नहीं रखते थे. उसके इसी तरह के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्रीराम को इस धरती पर आना पड़ा. लंकापति रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था. मंदोदरी एक पतिव्रता स्त्री थी. पतिव्रता के मामले में मंदोदरी की तुलना अहिल्या से भी की जाती है. लेकिन मंदोदरी कैसे रावण की पत्नी बनीं इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण था. मंदोदरी जानती थीं कि रावण बहुत ही क्रूर और अत्याचारी है. बावजूद इसके मंदोदरी को रावण को पति के रूप में स्वीकार करना ही पड़ा. तो क्या रावण ने मंदोदरी का भी अपहरण किया था? इस रहस्यमय सवाल का जबाब हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे.
दोस्तो, आप सभी ने रामायण में रावण की पत्नी के रूप में मंदोदरी के बारे में सुना होगा. रामायण में मंदोदरी का वर्णन बेहद सुंदर, पवित्र और धार्मिक महिला के रूप में किया गया है, जिसने एक तरफ सीता के अपहरण के लिए रावण की बार-बार आलोचना की, तो वहीं दूसरी तरफ एक कर्तव्य परायण पत्नी की तरह, लगातार अपने पति को धर्म के मार्ग की ओर अग्रसर करने का प्रयास करती रही.
रावण और मंदोदरी के विवाह की कथा:-
पौराणिक कथा के अनुसार मधुरा नाम की एक अप्सरा भगवान भोलेनाथ की तलाश में कैलाश पर्वत पर पहुंच गई. वहां पहुंचकर उसने पाया कि भगवान शिव के पास पार्वती नहीं हैं. इसका उसने फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी. वह भोलेनाथ को मोहित करने का प्रयास करने लगी. लेकिन कुछ समय बाद ही वहां माता पार्वती पहुंच जाती हैं. उन्हें मधुरा के शरीर पर भगवान शिव की भस्म देखकर क्रोध आ जाता है, और माता पार्वती मधुरा को 12 साल तक मेंढक बनी रहने, और कुंए में ही जीवन व्यतीत करने का शाप देती हैं. शाप के कारण मधुरा को असह्य कष्ट सहने पड़े. उसका जीवन संकटों से घिर गया.
लेकिन जिस समय ये सारी घटनाएं घट रही थी, उसी समय कैलाश पर असुर राजा मायासुर अपनी पत्नी के साथ तपस्या कर रहे थे. ये एक बेटी की कामना के लिए तपस्या कर रहे थे. 12 वर्षों तक दोनों तप करते रहे. इधर मधुरा के शाप का जब अंत हुआ तो वो कुंए में ही रोने लगी. सौभाग्य से असुरराज और उनकी पत्नी दोनों कुंए के पास ही तपस्या कर रहे थे. उन्होंने रोने की आवाज सुनी तो कुंए के पास पहुंचे. वहां उन्हें मधुरा दिखी, जिसने पूरी कहानी सुनाई. असुरराज ने तपस्या छोड़कर मधुरा को ही अपनी बेटी मान लिया. बाद में उन्होंने मधुरा का नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया.
इस प्रकार मंदोदरी असुरराज के महल में राजकुमारी का जीवन व्यतीत करने लगीं. तभी एक दिन मंदोदरी के पिता मायासुर से मिलने लंकापति रावण आता है. उसकी नजर किसी प्रकार मंदोदरी पर पड़ती है. रावण मंदोदरी को देख मोहित हो जाता है और वह मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगता है. लेकिन मायासुर रावण के इस प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं. इससे रावण को क्रोध आ जाता है और मंदोदरी का अपहरण कर लेता है. मंदोदरी के अपहरण से दोनों के बीच युद्ध की स्थिति बन गई. मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से कहीं अधिक शक्तिशाली है. इसलिए मंदोदरी ने रावण के साथ रहना स्वीकार किया. मंदोदरी ने रावण के हर गलत कृत्य का विरोध किया. सीता माता के अपहरण को मंदोदरी ने गलत बताया था.
मंदोदरी ने विभिषण से विवाह क्यों किया?मंदोदरी अपने पति द्वारा किए गए बुरे कार्यों से अच्छी तरह परिचित थी, वह हमेशा रावण को यही सलाह देती थी कि, बुराई के मार्ग को त्याग कर सत्य की शरण में आ जाए, लेकिन अपनी ताकत पर घमंड करने वाले रावण ने कभी मंदोदरी की बात को गंभीरता से नहीं लिया। जब रावण सीता का हरण करके लाया था तब भी मंदोदरी ने इसका विरोध कर सीता को पुन: राम को सौंपने को कहा था। लेकिन रावण ने मंदोदरी की एक नहीं सुनी और रावण का राम के साथ भयंकर युद्ध हुआ। ऐसा माना जाता है कि राम-रावण के युद्ध एक मात्र विभिषण को छोड़कर उसके पूरे कुल का नाश हो गया था।
रावण की मृत्यु के पश्चात रावण के कुल के विभिषण और कुल की कुछ महिलाएं ही जिंदा बची थी। युद्ध के पश्चात मंदोदरी भी युद्ध भूमि पर गई और वहां अपने पति, पुत्रों और अन्य संबंधियों का शव देखकर अत्यंत दुखी हुई। फिर उन्होंने प्रभु श्री राम की ओर देखा जो आलौकिक आभा से युक्त दिखाई दे रहे थे।अद्भुत रामायण के अनुसार विभीषण के राज्याभिषेक के बाद प्रभु श्रीराम ने बहुत ही विनम्रता से मंदोदरी के समक्ष विभीषण से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, साथ ही उन्होंने मंदोदरी को यह भी याद दिलाया कि वह अभी लंका की महारानी और अत्यंत बलशाली रावण की विधवा हैं। कहते हैं कि उस वक्त तो उन्होंने इस प्रस्ताव पर कोई उत्तर नहीं दिया। मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो एक सती स्त्री थीं, जो अपने पति के प्रति समर्पण का भाव रखती थीं. इसीलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था.
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