दोस्तो आप ने भगवान राम, सीता, राम के वनवास, राम-रावण के युद्ध, हनुमान द्वारा लंका दहन समेत रामायण के पात्रों और घटनाओं से जुड़ी, ना जाने कितनी कहानियां सुनी होंगी, लेकिन शायद ही कोई रामायण के अहम पात्र मंदोदरी के बारे में ज्यादा जानता होगा. वास्तव में रामायण में मंदोदरी का परिचय केवल रावण की पत्नी के रूप में नहीं, बल्कि एक कर्तव्यपरायण और धर्म के रास्ते पर चलने वाली स्त्री के तौर पर किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक थी, उसे चिर कुमारी भी कहा जाता था। वह एक पतिव्रता स्त्री थी, जो भगवान शिव की आराधक थी। भगवान शिव की अराधक होने के बाद भी आखिर माता पार्वती जी ने मंदोदरी को श्राप क्यों दिया था? इस रहस्यमय सवाल का जबाब हम इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं. यह कथा बड़ी ही रोचक और रहस्यपूर्ण है, इसलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें.
दोस्तो, आप सभी ने रामायण में रावण की पत्नी के रूप में मंदोदरी के बारे में सुना होगा. रामायण में मंदोदरी का वर्णन बेहद सुंदर, पवित्र और धार्मिक महिला के रूप में किया गया है. जिसने एक तरफ सीता के अपहरण के लिए रावण की बार-बार आलोचना की तो वहीं, दूसरी तरफ एक कर्तव्यपरायण पत्नी की तरह लगातार अपने पति को, धर्म के मार्ग की ओर अग्रसर करने का प्रयास करती रही.
रावण की पत्नी मंदोदरी किसकी पुत्री थी?
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मधुरा नामक एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंची। देवी पार्वती को वहां ना पाकर वह भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयत्न करने लगी। जब देवी पार्वती वहां पहुंची तो, भगवान शिव की देह की भस्म को मधुरा के शरीर पर देखकर वह क्रोधित हो गईं, और क्रोध में आकर उन्होंने मधुरा को मेढक बनने का शाप दे दिया। पार्वती ने मधुरा से कहा कि आने वाले 12 सालों तक वह मेढक के रूप में इस कुएं में ही रहेगी। भगवान शिव के बार-बार कहने पर माता पार्वती ने मधुरा से कहा कि, कठोर तप के बाद ही वह अपने असल स्वरूप में आ सकती है, और वो भी 12 साल बाद। मधुरा ने 12 वर्ष तक एक कुएं में रहकर मेढकरूप में कठोर तप किया।
उधर असुरों के राजा मायासुर और उनकी पत्नी हेमा के दो पुत्र थे, जिनका नाम मायावी और दुंदुम्भी था, लेकिन वो एक बेटी चाहते थे. इसलिए उन्होंने बेटी पाने के लिए कठोर तपस्या करने का फैसला किया. जब वो दोनों कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहे थे, तब इस बीच मधुरा की 12 साल की कठोर तपस्या भी समाप्त होने वाली थी. जैसे ही मधुरा की तपस्या पूरी हुई, वो अपने मूल स्वरूप में आ गई, और मदद के लिए चिल्लाने लगी. मायासुर और हेमा जो पास में ही तपस्या कर रहे थे, उन्होंने मधुरा की मदद की पुकार सुनी और तुरंत उसे कुएं से बाहर निकाल लिया. बाद में उन्होंने मधुरा को अपनी बेटी बना लिया, और उसका नाम बदलकर मंदोदरी रख दिया.
कहते हैं कि एक बार रावण मायासुर के महल में गया, तो वहां उसने मंदोदरी को देखा और उस पर मोहित हो गया. उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा. लेकिन मायासुर ने मना कर दिया, जिससे रावण नाराज हो गया और मंदोदरी को उससे शादी करने के लिए मजबूर करने लगा. मंदोदरी को पता था कि रावण भगवान शिव का भक्त है, इस डर से और अपने पिता की रक्षा के लिए वो शादी के लिए सहमत हो गयी. रावण से शादी के बाद उसने दो पुत्रों मेघनाद और अक्षयकुमार को जन्म दिया.
मंदोदरी की खास बातें :-
- मंदोदरी, दिति के पुत्र असुर राजा मयासुर और हेमा नामक अप्सरा की पुत्री थीं।
- पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है।
- अपने पति रावण के मनोरंजनार्थ मंदोदरी ने ही शतरंज के खेल का प्रारंभ किया था।
- मंदोदरी से रावण को – अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय पुत्र मिले। महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष और भीकम वीर को भी उनका पुत्र माना जाता है।
- एक कथा यह है कि रावण की मृत्यु एक खास बाण से हो सकती थी। इस बाण की जानकरी मंदोदरी को थी। हनुमान जी ने मंदोदरी से इस बाण का पता लगाकर चुरा लिया जिससे राम को रावण का वध करने में सफलता मिली।
- सिंघलदीप की राजकन्या और एक मातृका का भी नाम मंदोदरी था। हालांकि जनश्रुतियों के अनुसार मंदोदरी मध्यप्रदेश के मंदसोर राज्य की राजकुमारी थीं। यह भी माना जाता है कि मंदोदरी राजस्थान के जोधपुर के निकट मन्डोर की थी।
रावण के वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
ऐसा कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने अपनी भाभी मंदोदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो एक सती स्त्री थीं जो अपने पति के प्रति समर्पण का भाव रखती थीं. इसीलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था.
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