नवरात्रि के दूसरे दिन (मां ब्रह्मचारिणी) की व्रत कथा

दोस्तो हिन्दू धर्म मैं नवरात्री अर्थात नव दुर्गा पूजा का बहुत महत्व है। सनातन धर्म मैं साल मैं चार बार नवरात्री मनाई जाती हैं। इनमे से दो गुप्त नवरात्री और दो मुख्य नवरात्री होती हैं। मुख्य नवरात्री चैत्र और अश्विन माह मैं मनाई जाती हैं। इन नवरातों मैं माता के अलग – अलग नौ स्वरूपों की आराधना करने का विधान है। नवरात्री के द्वितीय दिवस माता के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा होती है। ब्रह्मचारिणी मतलब ब्रह्म यानि तपस्या का आचरण करने वाली माता, इनका दूसरा नाम तपस्चारिणी भी है। माता का यह स्वरुप भक्तों और संतो को अनंत फल देने वाला है। माता के इस स्वरुप की आराधना से भक्तों को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की प्राप्ति होती है। माता का ब्रह्मचारिणी स्वरुप अत्यंत भब्य और पूर्ण ज्योतिर्मय है। मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmcharini) स्वेत वस्त्र धारण करती हैं इनके दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बांए हाथ में कमण्डल सुशोभित है।

Maa Brahmcharini Puja Vidhi & Mantra

माता ब्रह्मचारिणी की कथा:-

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, ब्रह्मचारिणी माता ने पुत्री बनकर पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया। माता भगवान शंकर को पति के रूप में पाना चाहती थीं इसके लिए नारद जी की सलाह पर माता ने कठोर तप किया। तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया। 1000 सालों तक इन्होंने फल और फूल खाकर अपना समय व्यतीत किया। साथ ही 100 वर्ष तक जमीन पर रहकर तपस्या की, कहते हैं कि कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की।

माता ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए वेलपत्र खाये, इसके बाद माता ने विल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। विल्व पत्रों का त्याग कर देने पर माता का नाम अपर्णा पड़ गया। माता की इस प्रकार तपस्या करने से देवता प्रसन्न हुए और माता को मनोकामना पूर्ति का वरदान दिया। देवताओं ने माता की प्रसंशा करते हुए कहा कि हे देवी इस प्रकार का तप करने मैं केवल आप ही सक्षम थीं। आपके अतिरिक्त और कोई भी इस प्रकार का कठोर तप नहीं कर सकता था। हे देवी चंद्रमौलि भगवान शंकर आपको पति रूप मैं जरूर प्राप्त होंगे, अतः अब आप अपने घर वापस लौट जाइये।

नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि:-

नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करें। उसके बाद जमीन पर आसन बिछाएं और माता की मूर्ति के सामने फूल, माला, चावल, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। अब पंचामृत चढ़ाकर मिठाई का भोग लगाएं और माता के सामने पान, सुपारी, लौंग, इलाइची अर्पित करें। अब मंत्र का जप करें उसके बाद मां की आरती जरूर गाएं। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग बहुत प्रिय है। नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व शास्त्रों में वर्णित है कि मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। और माता के भक्तों को यम, नियम के बंधन से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उनके बीज मंत्र ‘ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः’ का 108 बार जाप कर सकते हैं। इसके अलावा

“या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”
इस मंत्र का भी जप कर सकते हैं।

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Updated: April 9, 2024 — 1:15 pm

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