दोस्तो धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की फोटो अथवा मूर्ति हमेशा साथ साथ देखने को मिलती है। आपने माता लक्ष्मी की कोई भी फोटो या मूर्ति बिना गणेश जी के नहीं देखी होगी। हमारे घरों मैं भी जब भी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, तो हमेशा गणेश जी को भी उनके साथ ही पूजा जाता है। क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ क्यों होती है? आखिर इन दोनों का क्या रिश्ता है? अगर नहीं, तो इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें। इस आर्टिकल मैं हम बताएँगे कि माता लक्ष्मी और गणेश जी का क्या सम्बन्ध है? लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ क्यों होती है?
माता लक्ष्मी को हुआ अभिमान:-
दोस्तो माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की एक साथ पूजा होने के पीछे दो कारण हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विराजमान थे। माता लक्ष्मी उनके चरन दवा रहीं थीं। माँ लक्ष्मी और विष्णु भगवान आपस में किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। उस चर्चा के बीच में माता लक्ष्मी ने कह दिया कि, उनकी पूजा के बगैर किसी का कार्य नहीं होता। संसार का हर व्यक्ति मुझे प्राप्त करने के लिए ही पूजा-अर्चना करता रहता है। मैं ही लोगों के जीवन में खुशियाँ लाने में समर्थ हूँ। माता लक्ष्मी की बात सुनकर भगवान विष्णु समझ गये कि लक्ष्मीजी को अहंकार हो गया है तभी यह बात कह रहीं हैं। उनके अभिमान को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने कहा कि वे धन-धान्य, वैभव, समृद्धि, संपदा आदि से परिपूर्ण हैं, लेकिन एक स्त्री होते हुए अपूर्ण हैं।
यह बात सुनकर लक्ष्मी जी हैरत में पड़ गईं, और उनको दुख भी हुआ कि प्रभु श्रीहरि ऐसा कह रहे हैं। उन्होंने उनसे पूछा कि वे अपूर्ण क्यों हैं? इस पर भगवान विष्णु बोले कि आपकी कोई संतान नहीं है। कोई स्त्री तभी पूर्ण होती है, जब उसे मातृत्व सुख मिलता है ,अर्थात जब वह माँ बनती है। यह बात सुनकर माता लक्ष्मी काफी दुखी हो गईं। उसी अवस्था में वे अपनी सखी पार्वती जी के पास जा पहुँची। लक्ष्मी जी को आया देख कर माता पारवती बहुत प्रसन्न हुईं, लेकिन उनके मुख की उदासी देखकर लक्ष्मी जी से इसका कारण पूछने लगीं।
माता लक्ष्मी और गणेश जी का क्या सम्बन्ध है?
लक्ष्मीजी ने उन्हें सारी बात बताई। पार्वती जी यह बात भली-भांति जानतीं थीं, कि लक्ष्मी माता का स्वभाव अत्यधिक चंचल है। वे अधिक समय तक एक स्थान पर नहीं रुकती हैं। किंतु इस सबके साथ ही माता पार्वती, लक्ष्मीजी को दुखी भी नहीं देख सकतीं थीं। इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को लक्ष्मी माता को देते हुए कहा, कि बहन लक्ष्मी! आज से ये आपका ही पुत्र है। आप इसको अपना दत्तक पुत्र मान लें। यह सुनकर लक्ष्मीजी अति प्रसन्न हुईं। और गणेश जी को अपनी गोद मैं लेकर आशीर्वाद दिया, कि जो भी भी उनकी पूजा करेगा उसे साथ में गणेश पूजन भी करना होगा। अन्यथा उसे अपनी पूजा का फल प्राप्त नहीं होगा। तभी से माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन साथ साथ होने लगा।
दूसरा शास्त्रों में कहा गया है कि जहां पर बुद्धि होती है, ज्ञान होता है, वहीं पर लक्ष्मी यानी धन का सही उपयोग होता है। गणेश जी ज्ञान और बुद्धि के भंडार हैं और माता लक्ष्मी धन-धान्य देने वाली हैं, इसलिए भी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ की जाती है।
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