क्या सीता जी रावण की पुत्री थी? रामायण के रहस्य

दोस्तो रामायाण की पूरी कहानी सीता के अपहरण और भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध के ईर्द-गिर्द घूमती है. बहन सूपनखाँ की नाक कटने के बाद, रावण ने बदले की भावना से सीता का अपहरण किया था. जिसके कारण रावण का विनाश हुआ था. हालांकि कई लोक कथाओं और प्राचीन ग्रंथों में, माता सीता को रावण की पुत्री बताया गया है. तो क्या सीता जी रावण की पुत्री थी? क्या सीता जी का जन्म मंदोदरी के गर्भ से हुआ था? अगर ये सच है तो सीता जी धरती के अंदर, एक घड़े मैं कैसे पहुंची? इन सभी सवालों के जबाबआप इस वीडियो के माध्यम से जान सकते हैं. यह कथा बड़ी ही रोचक और रहस्यपूर्ण है,इसलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें.

Secrets of Sita Ji in Ramayan

दोस्तो, दशानन रावण का नाश परस्त्री हरण ही नहीं, अपनी पुत्री पर बुरी नजर डालने के चलते हुआ था. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, माता सीता का जन्म राजा जनक की ओर से बारिश के लिए चलाए गए, हल से टकराकर निकले घड़े से हुआ था. इस घटना से इतना तो पता चलता है कि, सीता राजा जनक की अपनी पुत्री नहीं थी। जहाँ जमीन के अंदर से कलश से प्राप्त होने के कारण सीता स्वयं को पृथ्वी की पुत्री मानती थी। वहीं वास्तव में सीता के पिता कौन थे? और कलश में सीता कैसे आईं? इसका उल्लेख अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए रामायण और दूसरी कथाओं से प्राप्त होता है।

वास्तव में सीता जी के पिता कौन थे?

अद्भुत रामायण के प्रसंग के अनुसार, दण्डकारण्य में गृत्स्मद नाम का एक ब्राह्मण था, जो माँ लक्ष्मी को पुत्री रूप मे पाने की कामना से, प्रतिदिन एक कलश मे कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदें समर्पित करता था। कहते हैं उस समय देव-असुरों के बीच संग्राम चलता रहता था। कभी असुर देवों पर, तो देव असुरों पर आक्रमण करते रहते थे। उसी बीच एक दिन रावण उस ब्राह्मण की कुटिया पर पहुँच गया। उस समय गृत्समद वहाँ उपस्थित नहीं थे। इसका फायदा उठा कर रावण ने आश्रम के अन्य ब्राह्मणों और ऋषियों को मारकर, उनके रक्त को उसी कलश में भर लिया।

कहते हैं कि रावण उस रक्त कलश को अपने साथ लेकर लंका चला गया। जहाँ उसने अपनी पत्नी मंदोदरी को उस कलश को सम्भाल कर रखने को कहा। वहीं मंदोदरी को उस कलश में क्या है? इसके बारे में बताते हुए उसने कहा कि यह बहुत ही तीक्ष्ण विष से भरा है। जब कुछ दिनों के बाद रावण विहार के उद्देश्य से सह्याद्रि पर्वत पर चला गया, जो मंदोदरी को पसंद नहीं था। कहते हैं अपनी उपेक्षा से खिन्न मंदोदरी ने मृत्यु को वरण करने के उद्देश्य से, कलश में रखा पदार्थ पी लिया।

क्या सीता जी का जन्म मंदोदरी के गर्भ से हुआ था?

वहीं देवी लक्ष्मी को पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए मंत्रोचारित दूध का ऐसा प्रभाव पड़ा, कि मंदोदरी गर्भवती हो गईं। तत्पश्चात, मंदोदरी ने सोचा कि जब मेरे पति मेरे पास नहीं है। ऐसे में जब उन्हें इस बात का पता चलेगा। तो वह क्या सोचेंगे। यही सब सोचते हुए मंदोदरी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र चली गई। कहा जाता है कि वहीं पर उसने गर्भ को निकालकर, भ्रूण को एक घड़े में रखकर भूमि में दफन कर दिया, और सरस्वती नदी में स्नान कर वह वापस लंका लौट गई। कहते हैं कि कालांतर में इसी भ्रूण से सीता का जन्म हुआ। मान्यता है कि वही घड़ा हल चलाते वक्त मिथिला के राजा जनक को मिला था, जिसमें से सीता जी प्रकट हुईं थी।

सीता जी के पूर्व जन्म का रहस्य:-

दूसरा मत यहहै कि, ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह कथा आती है, जहाँ से रावण के अंत की कथा भी जुड़ती है। कहते हैं रावण के अंत के पीछे सबसे बड़ी वजह बनीं भगवान विष्णु की उपासक वेदवती। माँ सीता इन्हीं वेदवती का पुनर्जन्म थीं। वेदवती के बारें में कहा जाता है कि वह बेहद सुंदर, सुशील और धार्मिक कन्या थीं। वह भगवान विष्णु की उपासक होने के साथ उनसे ही विवाह करना चाहती थीं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, वेदवती अपनी इच्छा पूर्ति के लिए सांसारिक जीवन छोड़कर, जंगल में कुटिया बनाकर तपस्या में लीन थीं। इसी दौरान एक दिन जब रावण हिमालय का भ्रमण करते हुए ऋषि कन्या वेदवती को देखा, तो मोहित हो गया। वह कन्या के निकट गया और अभी तक उसके अविवाहित रहने का कारण पूछा।

तब वेदवती ने बताया कि उसके पिता उसका विवाह विष्णु से करना चाहते थे। परन्तु एक राक्षस के मुझ पर मोहित होने के कारण उसने मेरे पिता का वध कर दिया। पति के वियोग में माता का भी देहावसान हो गया। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए ही उन्होंने तपस्या का मार्ग अपनाया।

रावण ने शुरु में वेदवती को बहकाने की कोशिश की, परन्तु उसके नहीं मानने पर उसने वेदवती के केश पकड़ लिए, तब कहा जाता है कि वेदवती ने रावण के द्वारा पकड़े गए बालों को काट दिया, और दौड़ते हुए अग्नि कुंड मे कूद कर अपनी जान दे दी। मगर मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि, वो खुद रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेकर उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी। वही वेदवती अगले जन्म में सीता के रुप में जन्मी, और रावण के विनाश का कारण बनीं।

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Updated: March 6, 2024 — 10:00 am

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