दोस्तो जब भी हम भगवान की पूजा करते हैं, या भगवान के समक्ष होते हैं, तो अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। असल मैं हमें समझ में ही नहीं आता कि भगवान से क्या मांगे। दरअसल जब भी हम बुरे दौर मैं फसते हैं, तभी हमें भगवान की याद आती है। और हम भगवान से इसी बुरे समय से निकालकर सब कुछ ठीक करने की प्रार्थना करने लगते हैं। कुछ तो भगवान से बहुत छोटी – छोटी बातों के लिए प्रार्थना करते हैं, कि भगवान फलां काम हो जाये। असल मैं हमें भगवान से मांगना भी नहीं आता, हम उनसे केवल सांसारिक चीजों की ही कामना करते रहते हैं। कुछ प्रमुख संतों ने इस बारे मैं काफी स्पस्ट रूप से बताया है, कि हमें भगवान से क्या मांगना चाहिए। जिनकी चर्चा हम इस आर्टिकल के माध्यम से करेंगे।
भगवान से क्या प्रार्थना करें?
दोस्तो वृंदावन के परम संत प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, कि हमको भगवान से कुछ मांगना ही नहीं चाहिए। क्योंकि भगवान को पता है कि ,आप को क्या चाहिए, और आपके कर्मों के अनुसार क्या मिलना चाहिए। भगवान वही करेंगे जिससे हमारा मंगल होगा, हो सकता है वह विपत्ति, दुख और अपमान देकर पूर्ण रूप से तुम्हें अपनाना चाहते हों। प्रार्थना में यदि अपने लिए कुछ मांगना है , तो स्वयं परमात्मा को मांगिए। लेकिन दूसरों के लिए भी सुख-शांति की कामना कीजिए। इस तरह की गई पूजा निस्वार्थ प्रार्थना कहलाती है। और फलित भी होती है, उसका पुण्य आपको जरूर मिलता है।
हमेशा अच्छे कर्म करिए और रात को सोने से पहले अपने सभी अच्छे कर्म भगवान को अर्पित कर देने चाहिए। सब कुछ अच्छा ही होगा। एक बात का विशेष ध्यान रखें, कि भगवान से दुसरे के लिए वद्दुआ कभी नही मांगनी चाहिए। हम भगवान से जब भी कुछ मांगे तो कुछ छूट देकर मांगे। जैसे प्रभु हमारी ऐसी कामना है, अगर आपको उचित लगे तो पूर्ण कर देना, अगर उचित ना लगे तो मैं हजार बार भी मांगू फिर भी पूर्ण नहीं करना। ‘इस स्थिति में भगवान जो भी करेंगे वह मंगल ही होगा और आपका कल्याण ही होगा।
भगवान से क्या मांगे (रामचरित मानस):-
परम पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस मैं हमें यही बात समझाते हुए कहा है, कि हमें भगवान से कुछ मांगना ही है तो उनसे कहें कि….
जेहि विधि होय परम हित मोरा, करहु सु बेगि दास मैं तोरा।
अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँती, सब तजि भजन करहुं दिन राती।।
अर्थात हे नाथ जिस प्रकार से भी मेरा परम हित हो आप मुझे वही प्रदान करें। क्यों कि मैं तो आपका ही दास हूँ आपकी शरण मैं आया हूँ। हे प्रभु मुझ दास पर आप ऐसी कृपा कीजिये कि, मैं सभी सांसारिक चीजों का त्याग करके दिन रात सिर्फ आपका ही भजन करता रहूं।।
भगवान से छमा कैसे मांगें?:-
सनातन धर्म शास्त्रों मैं पूजा के बाद भगवान से छमा मांगने की भी परंपरा है। पूजा के बाद भगवान से छमा मांगने के लिए इस मंत्र को बोलें…..
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
इस मंत्र का अर्थ यह है कि हे प्रभु। न मैं आपको बुलाना जानता हूं और न विदा करना। पूजा करना भी नहीं जानता। कृपा करके मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपया भूल क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें।
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