भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

दोस्तो भगवान शिव के बारे मैं ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव त्रिलोक के आदि देव हैं। भगवान शिव के आगे दुनियां की सभी शक्तियां नतमस्तक हो जाती है। भगवान शिव और माता पारवती के विवाह के समय एक प्रसंग आता है कि विवाह से पहले पुरोहित भगवान शिव के पिता का नाम पूछना चाहते हैं। वही सवाल हमारे मन मैं भी उठता रहता है कि आखिर भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ? उनकी माता कौन थी? और भगवान शिव के पिता का क्या नाम था? भगवान शिव के गुरु कौन थे अर्थात उन्होंने किससे शिक्षा प्राप्त की थी? इन सभी रहस्यमय सवालों के जबाब इस आर्टिकल के माध्यम से दिए जायेंगे इसलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढियेगा।

Bhagwan Shiv Ke Janm ki Katha. How lord Shiv was Born?

भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

दोस्तो भगवान शिव के जन्म के बारे मैं अलग – अलग पुराणों मैं अलग – अलग कथाएं मिलती हैं। श्री मद भागवत पुराण के अनुशार, एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी अहंकार से अभिभूत होकर स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तभी उन्हें जलता हुआ एक खम्बा दिखाई दिया। उस खम्भे का कोई ओर छोर दिखाई नहीं दे रहा था। तभी भगवान विष्णु ओर ब्रह्मा जी को एक आवाज सुनाई दी कि जो भी इस खम्भे का आखिरी छोर ढूढ लेगा वही श्रेष्ठ माना जायेगा। इतना सुनते ही ब्रह्मा जी ने तुरंत एक पक्षी का रूप धारण किया ओर खम्भे के ऊपरी छोर की खोज मैं निकल पड़े। वहीं भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण किया ओर खम्भे का निचला छोर ढूढ़ने निकल पड़े। दोनों ने बहुत प्रयास किया लेकिन असफल रहे, और हार मानकर वापस लौट आये। भगवान शिव को वहीं इंतजार करते हुए पाया और तब उन्हें एहसास हो गया कि इस ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति भगवान शिव ही हैं। यह खम्भा भगवान शिव के कभी न ख़त्म होने वाले स्वरुप को दर्शाता है।

शिव पुराण के अनुशार भगवान शिव को स्वयंभू कहा गया है। अर्थात जब इस सृष्टि मैं केवल जल ही जल था तब भगवान शिव स्वयं ही प्रकट हुए। तब सृष्टि की रचना के लिए उन्होंने भगवान विष्णु ओर ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया।

भगवान शिव के जन्म की कथा:-

दोस्तो विष्णु पुराण मैं वर्णित भगवान शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव के एकमात्र बालस्वरूप का वर्णन है। विष्णु पुराण के अनुशार श्रस्टि की रचना के लिए भगवान ब्रह्मा को एक बच्चे की जरुरत थी। बच्चे के लिए ब्रह्मा जी ने तपस्या की तब अचानक उनकी गोद मैं रोते हुए भगवान शिव बालक रूप मैं प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने बालक को रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जबाब दिया कि उसका कोई नाम नहीं है, इसलिए वह रो रहा है। तब ब्रह्मा जी ने शिव का नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है रोने वाला। शिव तब भी चुप नहीं हुए तो ब्रह्मा जी ने दूसरा नाम दिया। शिव जी को वह नाम भी पसंद नहीं आया ओर वह रोते रहे। इस तरह शिव को चुप करने के लिए ब्रह्मा जी ने शिव को आठ नाम दिए। रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव।

How Lord Shiv was Born?

शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप मैं जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण मैं एक कथा आती है। इस कथा के अनुशार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब भगवान विष्णु ही जल सतह पर शेष नाग पर लेते हुए थे। तब विष्णु की नाभि से कमलनाल पर बैठे हुए ब्रह्मा जी पकट हुए और ललाट के तेज से भगवान शिव प्रकट हुए। तब ब्रह्मा जी ने शिव को पहचानने सी इंकार कर दिया ओर भगवान शिव के रूठ जाने के डर स भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दिव्य द्रष्टि प्रदान की ओर ब्रह्मा जी को शिव की याद दिलाई। तब ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ ओर भगवान शिव से अपने पुत्र के रूप मैं प्रकट होने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह वरदान प्रदान किया। इसी वरदान के फलस्वरूप भगवान शिव बालरूप मैं ब्रह्मा जी की गोद मैं प्रकट हुए।

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Updated: August 11, 2024 — 12:35 pm

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